Wednesday, March 23, 2022

*ll क्षण भंगुर जीवन ll*

 *ll क्षण भंगुर जीवन ll*


जीवन कब किस और करवट बदल दे कोई नहीं जानता, कुदरत अपनी तरह से दुनिया चलाता है l चीन के वुहान शहर से एक जानलेवा वायरस पूरी दुनियां को तीसरे महायुद्ध की भांति अपनी चपेट में ले लेता है और लाखों जाने चली जाती है l नागपुर के पुष्पांजलि अपार्टमेंट का हस्ता खेलता परिवार जिसमे माता पिता,  बेटा बहू,  पोती और एक पोता है l 20 जुलाई,  2020 की रात को पिता को अस्पताल में भर्ती करने के बाद अपनी माँ के साथ घर लौट आता है और उसी रात घर पर माँ की  तबियत अचानक बिगड़ जाती है एम्बुलेंस को फोन किया जाता है पर कोई मदद नहीं मिलती और बेटे के सामने माँ दम तोड़ देती है, बेटा चीखता चिल्लाता है पर कही से कोई मदत नहीं मिलती,  रात भर माँ के मृत शरीर को निहारता, बिलखता, रोता बेटा कुछ सवर ही पता है कि  21 जुलाई 2020 की सुबह अस्पताल से उसके पिता के भी चल बसने की खबर आती है,  बूढ़े माता पिता के अचानक इस दुनियां से चले जाने से पूरा परिवार सदमे में सन्न रह जाता है l बेटा, बहु और पोती के कोविड 19 के पॉजिटिव होने के कारण बेटे का हाथ तक उसके माता पिता की चिता को नहीं लगता,  इस विचित्र और लाचार परिस्थिति से बेबस परिवार जन मानसिक रूप से टूट जाते हैl इस बेबसी में बस आंसू ही एक मात्र सहारा और अपने भविष्य अर्थात बीबी बच्चों की चिंता में बेटा ना जाने कितने ही विचारों से घिर जाता है,  उसे कुछ सूझता नहीं कि वो क्या करें क्या ना करें l आपने माता पिता का साया अचानक उठ जाने के दर्द और पीड़ा के साथ- साथ प्रशासन के बदहाल व्यवस्था से भी उसे झूझना पड़ता है l पिने के लिए वाटर कूलर का पानी ( जो कि कोविड से संक्रमितों के लिए अनुकूल नहीं होता ), टॉयलेट  बाथरूम में गन्दगी,  कॉकरोच आदि और खाने का भोजन भी बेस्वाद शायद कैदियों को भी ऐसा खाना नहीं दीया जाता होगा जेल में l खैर ईश्वर की कृपा से बेटा बहू और बच्ची इस महामारी से बाहर निकल आते है पर यह टीस बेटे के मन में हमेशा रहती है कि वह अपने माता पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पाया और बस अस्ति विसर्जन के संस्कार पर ही उसे संतुष्ट होना होगा l

✒️राजेश लाख