Wednesday, March 23, 2022

नमक

 समझकर सुलझा हुआ,  अपनेपन में कुछ कह दीया हमने l

वो हमें अपना न समझ, दूसरों से शिकायत कर बैठे ll
इससे तो अच्छा था कि नमक न खाते,  न पनाह में उनकी रहते l
अहसास यु कि वो अपने है, यह भ्रम तो न हम दिल में पालते ll