Wednesday, March 23, 2022

कोविड 19 पर रनिंग कमेंटरी

 कोरोना आया जीवन बदल दिया 

सोच बदल दी 
लॉक डाऊन ने शराबियों की शराब छोड़ दी 
पत्नियां कोरोना की कृतज्ञ हो गयी 
यही शराब के ठेके खुलने से 
देश की इकॉनमी सुधारेंगी यह तथ्य भी सामने आया 
पर्यावरण सुधरा 
परिवार को समय दिलाया 
तो भारत की संस्कृति नमस्ते का चालान विश्व में चलाया 
दूर है मंज़िल लम्बा सफर है और मुश्लिले तमाम 
मजदूरी बंद है पैसे जो थे तीन महीने जैसे तैसे निभाया 
मकान मालिक मकान का किराया मांगे 
पेट रोटी मांगे,  घरवाले साथ मांगे 
रास्ते पर चले तो पुलिस रिश्वत मांगे 
चलते चलते कही ट्रैन ने तो कही ट्रक ने कुचला 
जिंदगी की जदोजहद ने तमाम इम्तहान मांगे 
गर्मी में पानी  नहीं पेट में रोटी नहीं पैर में चप्पल नहीं 
नंगे पाव मिलो इसी त्रासदी के साथ जाना है 
इंसान है पर जानवर से बत्तर जिंदगी 
रास्ते पर पड़े दूध को ओजली में ले पिने को मजबूर
जो जान अपनी दाँव पर लगाए बचाने तुम्हे जुंझ रहे 
उन्ही के सिनो में खंजर भोंकते 
पैसे नहीं खाने को शराब के लिए ये कटारे कैसी है 




कहते है कोविड 19 वायरस ने जंग छेड दी 
बगैर सेना के तीसरा महायुद्ध छिड़ गया 
लॉकडाउन ने बिना भेदभाव के सभी को है जकड़ा 
घर में कैद हुई है जनता जान अपनी बचाने में 
लॉक डाउन,  सामाजिक दूरी,  मास्क,  हैंड स्यानीटायजेशन और सरकार सेतु एप दिया 
कोरोना योद्धाओ को शंख, घंटी ,  थाली बजाकर सलामी 
तो कही इन योद्धाओ पर पत्थर बाज़ी 
घर से दूर जहाँ बरसों से करते काम रहे 
अचानक सेठ के तेवर ही बदल गए 
काम के लिए जहाँ दूर-दूर से बुलावा आता 
आज उसी काम से बेदखल कर दिए गए
बिन मजूरी पराए देस में गुज़ारा बड़ा मुश्किल है मकान भाड़ा,  रोटी,  दवा मुँह उबाये खड़ी है 
कितने दिन पोटली के पैसों से चलता गुज़ारा है 
पेट की भूंख व लाचारी ने सब्र के बाँध सब तोड़ दिए 
तो किया निश्चय घर वापसी का नंगे पाओ भूखे प्यासे  चलने का 
दो गज कफन को टालने दो गज दूरी भी अब मंजूर नहीं 
जलती धूप में नंगे पाओ मिलो दूर की दूरी है 
पानी नहीं, खाना नहीं बस एक हौसला है 
घर पर माँ,  बीबी,  बच्चें रोज़ ताकंते राह है 
रास्ते पर पड़े दूध को पिने को मजबूर  
फर्क नहीं यहाँ जानवर और इंसान में 
रास्ते पर चले तो पुलिस रिश्वत मांगे 
चलते-चलते कही ट्रैन तो कही ट्रक ने कुचला है 
पहुंचना था इंसा को पर घर लाश तक ना जा पायी है 
पैसे नहीं खाने को शराब के लिए ये कतारे कैसी है 
11 सौ मरकज़ी छाए रहे हरेक टीवी चैनलों पर 
35 सौ सिख नांदेड़ और जैनियो की कोई बात नहीं  
बसें है तैयार पर सियासत की गर्मी से 'बे' बस है इंसान 
बंगाल से कहता अम्फान तूफ़ान घर से बहार निकला करोना 
चीन का कोरोना अस्त्र और अब ढ़ोकलाम पर नज़र है 
कोरोना का रोना क्या कम था की टिड्डीयों  ने आतंक मचा रखा है 
निसर्ग तूफान ने निसर्ग का तांडव भी खूब मचाया है 



कहते है कोविड 19 वायरस ने जंग छेड दी 
बगैर सेना के तीसरा महायुद्ध छिड़ गया 
लॉकडाउन ने बिना भेदभाव के सभी को है जकड़ा 
घर में कैद हुई है जनता जान अपनी बचाने में 
लॉक डाउन,  सामाजिक दूरी,  मास्क,  हैंड स्यानीटायजेशन और सरकार ने सेतु एप दिया 
कोरोना योद्धाओ को शंख, घंटी, थाली बजाकर सलामी 
तो कही इन योद्धाओ पर पत्थर बाज़ी 
घर से दूर जहाँ बरसों से करते काम रहे 
अचानक सेठ के तेवर ही बदल गए 
काम के लिए जहाँ दूर-दूर से बुलावा आता 
आज उसी काम से बेदखल कर दिए गए
बिन मजूरी पराए देस में गुज़ारा बड़ा मुश्किल है 
मकान भाड़ा,  रोटी,  दवा मुँह उबाये खड़ी है 
कितने दिन पोटली के पैसों से चलता गुज़ारा है 
पेट की भूख व लाचारी ने सब्र के बाँध सब तोड़ दिए 
तो किया निश्चय घर वापसी का नंगे पाव भूखे प्यासे  चलने का 
दो गज कफन को टालने दो गज दूरी भी अब मंजूर नहीं 
जलती धूप में नंगे पाव मिलो दूर की दूरी है 
पानी नहीं, खाना नहीं बस एक हौसला है 
घर पर माँ,  बीबी,  बच्चें रोज़ ताकंते राह है 
रास्ते पर पड़े दूध को पिने को मजबूर है 
फर्क नहीं यहाँ जानवर और इंसान में 
रास्ते पर चले तो पुलिस रिश्वत मांगे 
चलते-चलते कही ट्रैन तो कही ट्रक ने कुचला है 
पहुंचना था इंसा को पर घर लाश तक ना जा पायी है 
पैसे नहीं खाने को शराब के लिए ये कतारे कैसी है 
11 सौ मरकज़ी छाए रहे हरेक टीवी चैनलों पर 
35 सौ सिख नांदेड़ और जैनियो की कोई बात नहीं  
बसें है तैयार पर सियासत की गर्मी से 'बे' बस है इंसान 
खलनायक फिल्मो में सोनू सूद नायक वास्तविक जीवन में
बंगाल से कहता अम्फान तूफ़ान घर से बहार निकला करोना 
चीन का कोरोना अस्त्र और अब ढ़ोकलाम पर नज़र है 
कोरोना का रोना क्या कम था की टिड्डीयों ने आतंक मचा रखा है 
निसर्ग तूफान ने निसर्ग का तांडव भी खूब मचा रखा है 

2020 match of COVID-19 running commentary by Rajesh Lakh