Wednesday, March 23, 2022

मनोज कुमार पर लेख

 मुझे उनकी सन 1981 बनी फ़िल्म क्रांति का एक गीत याद आ रहा है "मेरा चना है अपनी मर्ज़ी का", अंग्रेज़ों से आज़ादी के मतवालों के संघर्ष का ये गीत आज भी रोंगटे खड़े करता है l इस गीत के गीतकार  संतोष आनंद है और  संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का है,  रफ़ी साहब, लता दीदी, किशोर कुमार और नितिन मुकेश ने संयुक्त स्वर दिया है l आईये इस गीत का कुछ अंश मैं आपके समक्ष रख रहा हूँ l


सन 1968 में बनी फ़िल्म पत्थर के सनम,  मजरूह सुल्तानपुरी के बोल, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का संगीत, रफ़ी साहब की आवाज़ को मनोज कुमार पर फिल्माया गया मशहूर टाइटल सांग " पत्थर के सनम तुझे हमने महोब्बत का खुदा जाना l कुछ पंक्तिया पेश है l

"भारत को भारत रत्न" अर्थात मनोज कुमारजी को भारतरत्न  क्यू दिया जाना चाहिए? 

तो इसका जवाब है कि जिस दौर में हमारा समाज पश्चिमी सभ्यता,  वेशभूषा,  खानपान की  नक़ल कर रहा था और अपनी सभ्यता से विमुख हो रहा था,  उनकी फ़िल्म " पूरब और पश्चिम" और अन्य कई फिल्मों के ज़रिए हमारे भारत की समृध्द और विशाल सभ्यता को दर्शाकर एक देशभक्ति का जज़्बा उन्होंने पैदा किया देश की मिट्टी की खुशबु से रू- ब -रू कराया   l पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के "जय जवान जय किसान" के नारे को लेकर जवानों और किसानों के अष्ट पहलुओं पर फिल्मे बनाई,  उनकी हरेक फ़िल्म समाज को आईना दिखाती है l उनका साहित्य सामाजिक विषमताओं को दर्शाता ही नहीं बल्कि उसपर गहन चिंतन करने पर मजबूर भी करता हैl हालांकि उन्हें पद्मश्री और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चूका किन्तु ऐसे महान दार्शनिकर, समाज सुधारक,  फ़िल्मकार, निर्देशक,  निर्माता,  एक्टर को उनके अनन्या योगदान के लिए "भारत रत्न " दिया जना चाहिए l 

मैं आज की इस चर्चा सत्र में हमारे मुख्य अतिथि श्री अमरजीत सिँह कोहली जी  जो सखा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष है, को साधुवाद देता हूँ कि उन्होंने इस मोहिम को ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ आगाज़ किया है और इस कारवा को आगे जनमानस तक एक अभियान के रूप में ले जाने का संकल्प लिया है l आज के इस सत्र में भाग लेने वाले डॉ. राजिंदर कुमार,  श्री अनिल ओबेराय, श्री सुरेंद्र पुष्करणा का हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करता हूँ और आजके इस सत्र कि समाप्ति की  घोषणा करता  हूँ l अनिल ओबेराय एक सूचना  प्रौद्योगिकी व्यावसाइक है और  हारमोनिका के उस्ताद है l आप कॉलेज बैंड का एक हिस्सा रहें है ओर आकाशवाणी,  टी वी और कॉर्पोरेट जगत में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके है l आपने क्रोमेटिक हारमोनिका पर  बॉलीवुड, हृदयस्पर्शी और  सूफियाना गीतों  के माध्यम से कई महफिलों में वाह वाही बटोरी है ओर इस वाद्य यँत्र को नई पहचान ओर ऊचाई प्रदान की है l
 सुरेंदर पुष्करणा दिल्ली के जाने माने वरिष्ठ गायक और कवि है l आपने दिल्ली के सभी प्रख्यात ऑडिटोरियमो और कॉर्पोरट जगत में संगीत के आयोजन किए है l आप बॉलीवुड गीतों पर पकड़ रखते है, भजन, सुफियाना कलाम लिखते और संगीतबद्ध करते हैl आप सरल स्वभाव के धनी है और संगीत प्रेमियों के चहिते है l
डॉ. राजिंदर कुमार पेशे से एक होमिओपॅथी के वरिष्ठ डॉक्टर है l आपने कई लाइलाज बिमारियों का इलाज किया है l आप अपने डॉक्टरी पेशे के साथ साथ संगीत में भी गहन रूचि रखते है और आपने इस विषय पर के. एल. सहगल के ज़माने से तलत महमूद  और उनकी अगली पीढ़ी तक के संगीत पर गहन अध्ययन और अनुसन्धान किया है l साथ ही आपकी मखमली आवाज़ और बोलने की शैली आपको एक विशिष्ठ कोटी का उदघोषक बनाती है l
श्री अमरजीत सिंह कोहली को संगीत जगत में पितामह के रूप में जाना जाता है l आप ब्यूरो औफ इंडियन स्टैंडर्ड से निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए है और सखा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष है और विगत 54 वर्षों से नए प्रतिभावान कलाकारों को एक नामचीन मंच उपलब्ध कराते आ रहें है जिनमें सोनू निगम,  श्रेया घोषाल ये प्रख्यात नाम शामिल है l आप बॉलीवुड और संगीत जगत में मजबूत  पकड़ रखते  हैl उम्र के इस पड़ाव पर भी आपकी याददाश्त दुरुस्त है, इन सब के अलावा आप नम्र, परोपकारी और सब की मदत के लिए तत्पर रहने वाले व्यक्ति है l  इस ऑनलाइन सत्र में आपने मुख्य अतिथि के रूप में आकर हमारा मान बढ़ाया है l

फिल्मे समाज का आइना होती है,  यु ही नहीं कहा जाता l फिल्मों के माध्यम से जो भी परोसा जाता है उसका प्रभाव काफ़ी गहरा होता है l मनोज कुमार जी का फ़िल्मी सफर देखे तो बड़ा ताज्जुब होता है कि उन्होंने सेलुलॉइड के माध्यम से सामाजिक विषमताओं को दूर करने,  देशप्रेम, देशभक्ति,  किसानों की समस्याओ और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सभ्यता के संरक्षण के दर्शन कराये और भारतीयता की अलख जगाई l 
उदाहरण के लिए बताना चाहूंगा जैसे :
1. फ़िल्म पूरब और पश्चिम : इस फ़िल्म के माध्यम से जनमानस पर प्राचीन समृद्ध भारतीय सभ्यता और संस्कारों की छाप छोड़ी l
2. फ़िल्म क्रांति और शहीद भगत सिंह : के माध्यम से नागरिकों में  देशभक्ति का जज्बा और शौर्य का संचार किया l
3. फ़िल्म उपकार : के माध्यम से किसानों की अष्ट पहलु समस्याओ को उदृत किया l
4. उनकी कोई भी फ़िल्म ले लीजिये,  उनका साहित्य ले लीजिये जो सामाजिक समस्याओ पर चोट ही नहीं करता बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को उन विषयों  पर चिंतन मनन करने पर मजबूर कर देता है l
भुपूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के नारे " जय जवान जय किसान " को सही मायनों में अगर किसीने सेलुलॉइड के माध्यम से चरितार्थ किया है तो वो केवल मनोज कुमार जी की फिल्मों में देखने को मिलता है l 
क्या हम फँस मानते है कि ऐसी महान हस्ती का सम्मान सिर्फ पद्मश्री और दादा साहब फाल्के अवार्ड से हो सकता है? 

आजके इस ऑनलाइन प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि श्री अमरजीत सिंह कोहली जी जो सखा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष भी है से अनुरोध करता हूँ कि वे इस ओर अपना मंतव्य रखे ओर आगे कि रणनीति से अवगत कराये,  श्री अमरजीत सिंह कोहलीजी l
 

राजनितिक सांड

 जिसकी लाठी उसकी भैस बीजेपी सरकार के लिए सटीक कहावत है 

एक सांड ने आठ पहरेदारो को मार डाला और फरार  हो गया 
चुंकि यह सांड पाला हुआ था तो सारे चौराहोने ने उसे बचाने की कोशिशे की 
क्यूंकि पकड़ा जाता है तो सारे चौराहो की पोल भी कुल जाते है 
सारे चौराहो की रातो की नींद उड़ गई काफ़ी मंथन के बाद कुछ तय हुआ 
कि चलो उस सांड के साथियों को पकड़कर काट  डालते है 
साथियों को काटने के बाद वाह सांड शिव आराधना में मिलता है 
उसे पढ़कर लाया जाता है,  अब तो चौराहो की समस्या ओर बढ़ जाती है 
अगर मामला पंचायत तक गया तो ये हमारे सारे राज़ खोल देगा 
दूसरे दी बड़ी चतुराई से ये चौराहे उस सांड को मर डालते है 
न रहेगा बांस न बजेगी बासुरी,  चौराहे अब चैन की सांस लेते है 
पंचायत में जो बहोत भैस चर्चा होंगी देखि जाएगी पंचायत भी तो अपनी ही है 



कल तक जहाँ हरेक चैनल पर विकास दूबे का सम्बन्ध विपक्षी पार्टियों से जोड़ा जा रहा था 
सत्ता पक्ष हर संभव प्रयास करता कि विकास दुबे सुरक्षित ओर महफूज़ रहे ताकि विपक्षियों की  पोल खुल जाए 
पर ये क्या 10 जुलाई की सुबह विकास दुबे के एनकाउंटर की खबर दिखाई जाती है 
मज़े की बात यह है की कुल 71 मामलों में नामजद मुजरिम कानपुर वारदात तक इन्ही की सरपरस्ती में  रहा है 
उसके अंत से कई राज़ दफन हो गए ओर यह साबित हो गया की राजनेता सबसे बड़े गुंडे होते है 

मिडिया में सवर्ण एंकर

 मिडिया में सवर्ण एंकरों का भी क्या कहना है जब मुस्लिम और दलित अपराधियों के बारे में बोलते है तो खौलते खून और कड़वाहट के साथ ज़ोर ज़ोर चिल्ला चिल्ला कर आतंकवादी और नक्सलवादी आदि सम्बोधन से लानत देते है  वही ब्राम्हण और अन्य सवर्ण अपराधियों के बारे उनका खून कभी खौलता नहीं दीखता,  ये कैसा पक्षपाती चौथा स्तम्भ है l

 महामारी कोरोना की भिड़ंत हुई सूर्य के 

कोरोना से 
कोरोना वाइरस परास्त हो कोरोना 
महासूर्य ग्रहण से 

एक मृत्यु का द्योतक तो दूसरा जीवन के प्रकाश का

हमारे 20 जवानों की शहादत पर

 


II हमारे 20 जवानों की शहादत पर II 

पाकिस्तान एलओसी पर,  चीन एलएसी पर चौतरफा 
घात लगाए बैठे है 
रोज़ शहादत के सिपाही तिरंगे में लिपटे देशभक्ति का जज़्बा दिखाते है 
सरहदे विस्तार में ये कैसी जंग है छिड़ी हुई लोग मरते गए ज़मी वही है 
लोग चाहे इधर मरे चाहे मरे उधर पर गोद तो उजड़ती ममता की है 
बच्चे अनाथ बीबी बेवा दो दिन की संवेदनाए फिर कोई न ले सूद इनकी है 
देशभक्ति में न्यौछावर शहीद सिपाही, एसी में बैठे नेता वादा करते खिलाफ़ी है 
बदला लेंगे बदला लेंगे श्लोगन पर श्लोगन मात्र बदला कभी लिया नहीं है 
कुर्सी अपनी बचाने की खातिर लोगो के जज़्बातों से खेलना इनकी फिरत है  
ऐसे नक्कारों से उम्मीद लगाना शहीदों के प्रति कृतघ्न का परिचायक है 

राजेश लाख 

 फूलों की वर्षा,  थाली, शंख, घंटा बजाकर कोरोना योद्धाओ को सम्मान किन्तु थाली उनकी खाली है l

काबिलियत क्या होती हैं

 आसा होता है रास्ता नदी की बहती धार के साथ 

मुश्किल होता है विपरीत दिशा में संघर्ष के साथ 
जन्मते है आर्य गौरवपूर्ण भावना की विरासत के साथ 
धरती पुत्र हीन भावना की पीड़ा के साथ 
बहती धार के साथ चल आसा है मका बनाना 
संघर्ष कर विपरीत दिशा के है यही काबिलियत 
Social  convergent privileges of open category 
The path of born with superior complex is not a path but a privilege
Path attained with strife and struggle is real worth calling brilliance 
मंदिरों,  मस्जिदों,  गुरूद्वारो, गिरिजाघरों की चल अचल संपत्ति मानव कल्याण में कब काम आएगी 
जब रहेगा ही नहीं कोई इंसान जगत में तो क्या मंदिर, मस्जिद,  गुरूद्वारा, गिरिजाघर